अयि गिरि नंदिनी, पर्वत की बेटी, खुशियों से भर दे, जैसे निर्मल ज्योति। सबसे प्रशंसा पाई, धरती से आकाश, विंध्य पहाड़ियों में, देवी का निवास। विष्णु की कृपा से, और योद्धा की ताकत, अंधकार को हराकर, लाती है उजाला। शिव के परिवार में, नृत्य का रंग, हर कदम पर, राक्षसों का मर्दन। श्लोक: अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवरविन्ध्य शिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते॥ भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ वह जो हंसती है, जबकि ब्रह्मांड खेलता है, सृजन के नृत्य में, वह झूमती है। भगवती, शिव के साथ, वह एक ब्रह्मांडीय रानी, हर दिल में, हर आत्मा में, वह अदृश्य। राक्षसों की विनाशक, अच्छाई की रक्षक, शेर के साथ, जंगल में खड़ी। उँचें पहाड़ों से, गहरे नीले सागरों तक, वह दुनिया की माँ है, जीवन लाती है सहजता से। श्लोक: अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवरविन्ध्य शिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते॥ भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ अयि गिरि नंदिनी, हम तुझे पुकारते हैं, जीवन के चक्र में, तू ही शाश्वत ज्योति। हिमालय की चोटियों से, विनम्र हृदयों तक, तेरी उपस्थिति में, हमें शक्ति मिलती है। श्लोक: अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवरविन्ध्य शिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते॥ भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।
Fusion/Ethnic Hip-Hop
Hindi
The lyrics evoke a sense of power, divinity, and celebration. The expressions of strength, victory over darkness, and the presence of a divine feminine energy create an uplifting and empowering emotional response.
This song can be used in cultural events, fusion music concerts, dance performances, and yoga/meditation sessions where a blend of traditional Indian elements with a modern twist is appreciated. It can also be used in motivational or inspirational contexts.
The song incorporates traditional Sanskrit shlokas with a modern fusion/hip-hop music style. The use of diverse instruments, rhythms, and vocal textures creates a unique blend of ancient chants and contemporary music production techniques. The composition showcases a fusion of traditional Indian music with modern electronic elements, making it suitable for a wide audience.
अयि गिरि नंदिनी, पर्वत की बेटी, खुशियों से भर दे, जैसे निर्मल ज्योति। सबसे प्रशंसा पाई, धरती से आकाश, विंध्य पहाड़ियों में, देवी का निवास। विष्णु की कृपा से, और योद्धा की ताकत, अंधकार को हराकर, लाती है उजाला। शिव के परिवार में, नृत्य का रंग, हर कदम पर, राक्षसों का मर्दन। श्लोक: अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवरविन्ध्य शिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते॥ भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ वह जो हंसती है, जबकि ब्रह्मांड खेलता है, सृजन के नृत्य में, वह झूमती है। भगवती, शिव के साथ, वह एक ब्रह्मांडीय रानी, हर दिल में, हर आत्मा में, वह अदृश्य। राक्षसों की विनाशक, अच्छाई की रक्षक, शेर के साथ, जंगल में खड़ी। उँचें पहाड़ों से, गहरे नीले सागरों तक, वह दुनिया की माँ है, जीवन लाती है सहजता से। श्लोक: अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवरविन्ध्य शिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते॥ भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ अयि गिरि नंदिनी, हम तुझे पुकारते हैं, जीवन के चक्र में, तू ही शाश्वत ज्योति। हिमालय की चोटियों से, विनम्र हृदयों तक, तेरी उपस्थिति में, हमें शक्ति मिलती है। श्लोक: अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवरविन्ध्य शिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते॥ भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।
[Instrumental]